पं. दीपक शर्मा

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उज्जैन

मंगल भात पूजा, कालसर्प दोष निवारण पूजा, वास्तु दोष निवारण पूजा, महामृत्युंजय जाप, नवग्रह शांति पूजा, अर्क/कुंभ विवाह, रुद्राभिषेक पूजा, पितृ दोष निवारण पूजा
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अनुष्ठान एवं निवारण

कालसर्प दोष निवारण पूजा

कालसर्प दोष निवारण पूजा

कालसर्प दोष को व्यक्ति के जन्मकुंडली में राहु और केतु के साथ सम्बंधित ग्रहों की विशेष स्थिति के आधार पर माना जाता है। यह दोष किसी व्यक्ति के जीवन में समस्याएं और परेशानियों को उत्पन्न कर सकता है। कालसर्प दोष शांति के लिए कई विभिन्न परंपरागत और आधुनिक उपाय होते हैं, जैसे कि मंत्र जाप, यज्ञ, ध्यान, दान-पुण्य, और अन्य अनुष्ठान। कई ज्योतिषाचार्य विशेष मंत्रों का उपयोग करते हैं जो कालसर्प दोष को शांत करने में मदद कर सकते हैं। वैदिक ज्योतिष में, ग्रहों की शांति और उपाय के लिए ग्रह शांति पूजा, हवन, और ध्यान का प्रयोग किया जाता है। यह पूजा और अनुष्ठान किसी पंडित या ज्योतिषाचार्य के मार्गदर्शन में किया जाता है ताकि सही तरीके से और सकारात्मक परिणामों के साथ कार्य किया जा सके।

मंगल भात पूजा

मंगल भात पूजा

भात पूजन को मंगल दोष निवारण के लिए किया जाता है। इस पूजा में, सबसे पहले गणेशजी और माता पार्वतीजी का पूजन किया जाता है। इसके बाद, नवग्रहों की पूजा की जाती है, फिर कलश का पूजन किया जाता है, और शिवलिंग रूप में भगवान का पंचामृत अभिषेक वैदिक मंत्रों के साथ किया जाता है। इसके बाद, भगवान को भात अर्पित किया जाता है। विधिवत भात पूजन, अभिषेक और मंगल जाप के बाद, आरती उतारी जाती है।

वास्तु दोष निवारण पूजा

वास्तु दोष निवारण पूजा

वास्तु दोष निवारण पूजा घर और व्यवसाय में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देने और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए समर्पित है। यह पूजा वास्तुशास्त्र के अनुसार किए जाते हैं ताकि घर या व्यवसाय में स्थित दोषों को निवारित किया जा सके और सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके। वास्तु दोष निवारण पूजा के दौरान, पूजारी या पंडित वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार मंदिर के आदान-प्रदान, हवन, मंत्र-जाप, ध्यान आदि के माध्यम से पूजा करते हैं। इस पूजा का मुख्य उद्देश्य घर और व्यवसाय में सकारात्मकता, शांति, और समृद्धि की स्थापना करना होता है।

महामृत्युंजय जाप

महामृत्युंजय जाप

महामृत्युंजय मंत्र का उच्चारण विभिन्न स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं, दुर्भाग्य से बचाव और असमय मौत से सुरक्षा के लिए किया जाता है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को आत्मिक और शारीरिक शुद्धि का लाभ मिलता है, और वह आंतरिक और बाहरी शांति, सुख और स्वास्थ्य प्राप्त करता है। यह मंत्र व्यक्ति को अनंत शक्ति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति के लिए समर्पित है। जाप के दौरान इसे कुछ निश्चित संख्या में बार-बार उच्चारित किया जाता है, जो रोग और आपदाओं से सुरक्षा के लिए माना जाता है। इस प्रकार के जाप से व्यक्ति की आत्मिक और शारीरिक स्थिति में सुधार होता है, और उसे उच्च शक्तियों की प्राप्ति होती है।

नवग्रह शांति पूजा

नवग्रह शांति पूजा

नवग्रह शांति पूजा एक प्रमुख हिंदू धार्मिक आयोजन है जो नौ ग्रहों की कृपा, शांति, और समृद्धि को प्राप्त करने के लिए समर्पित होता है। यह पूजा नवग्रहों के दोषों को दूर करने और उनकी शुभता को बढ़ाने के लिए की जाती है। नवग्रह शांति पूजा के दौरान, हर ग्रह के लिए विशेष मंत्र और पूजनीय सामग्री का उपयोग किया जाता है। इस पूजा के दौरान, नौ ग्रहों की कृपा को प्राप्त करने के लिए विशेष ध्यान और भक्ति से पूजा की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य घर और व्यवसाय में सकारात्मकता, सुख, और समृद्धि के लिए नौ ग्रहों की कृपा को प्राप्त करना होता है।

अर्क/कुंभ विवाह

अर्क/कुंभ विवाह

जब भी किसी दोष के चलते या फिर किसी अन्य परेशानी के चलते, किसी भी पुरुष का विवाह नहीं हो पा रहा हो या उसके विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, या फिर अन्य किसी दोष को दूर करने के लिए सर्वप्रथम उस पुरुष का विवाह सूर्य पुत्री जिन्हे अर्क वृक्ष के रूप मे पूजा जाता है के साथ किया जाता है, ऐसा करने से उस पुरुष के विवाह मे बाधा बनकर आ रहे सभी प्रकार के दोष व परेशानियाँ दूर हो जाती है। किसी भी पुरुष के विवाह से पूर्व किए गए इस विवाह को अर्क विवाह पूजा के नाम से जाना जाता है।

इस अनुष्ठान में, पहले दुल्हन का विवाह मिट्टी के बर्तन में स्थापित भगवान विष्णु की मूर्ति के साथ किया जाता है। यह शादी सामान्य तरीके से की जाती है। पूरे विवाह समारोह के बाद, विष्णु की मूर्ति को जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है। इस प्रकार कुंभ विवाह समारोह संपन्न होता है, इसके बाद संबंधित दुल्हन का विवाह इच्छुक दूल्हे के साथ किया जा सकता है। कन्या के विवाह से पूर्व किए गए विवाह को घट विवाह या कुम्भ विवाह पूजा के नाम से जाना जाता है।

रुद्राभिषेक पूजा

रुद्राभिषेक पूजा

रुद्राभिषेक एक प्रमुख हिन्दू पूजा विधि है जो भगवान शिव को समर्पित की जाती है। इस पूजा के दौरान, शिवलिंग को गंगा जल, धारा, धूप, दीप, धनिया, बिल्व पत्र आदि से समर्पित किया जाता है। रुद्राभिषेक में विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जिससे शिव को प्रसन्न किया जाता है और भक्त को उनकी कृपा प्राप्त होती है। यह पूजा अनेक धार्मिक और सामाजिक उत्सवों में भी की जाती है, और शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है।

पितृ दोष निवारण पूजा

पितृ दोष निवारण पूजा

पितृ दोष हिन्दू ज्योतिष और परंपरागत वैदिक धार्मिक विश्वास के अनुसार एक ग्रहण या पितृ वंश के अनिश्चित नियमों के कारण उत्पन्न होता है। इसे पितृ दोष के रूप में जाना जाता है। यह दोष किसी भी प्रकार की कार्यक्षमता, संघर्ष और अन्य संबंधित समस्याओं का कारण बन सकता है। इस दोष को श्राद्ध के द्वारा निवारण किया जाता है, जिसमें पितृगणों के लिए अन्न, धूप, दीप, फल, आदि की अर्पण की जाती है और उन्हें शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है।

चित्रमाला

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चलचित्र