अर्क/कुंभ विवाह
अर्क/कुंभ विवाह
जब भी किसी दोष के चलते या फिर किसी अन्य परेशानी के चलते, किसी भी पुरुष का विवाह नहीं हो पा रहा हो या उसके विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, या फिर अन्य किसी दोष को दूर करने के लिए सर्वप्रथम उस पुरुष का विवाह सूर्य पुत्री जिन्हे अर्क वृक्ष के रूप मे पूजा जाता है के साथ किया जाता है, ऐसा करने से उस पुरुष के विवाह मे बाधा बनकर आ रहे सभी प्रकार के दोष व परेशानियाँ दूर हो जाती है। किसी भी पुरुष के विवाह से पूर्व किए गए इस विवाह को अर्क विवाह पूजा के नाम से जाना जाता है।
इस अनुष्ठान में, पहले दुल्हन का विवाह मिट्टी के बर्तन में स्थापित भगवान विष्णु की मूर्ति के साथ किया जाता है।
यह शादी सामान्य तरीके से की जाती है। पूरे विवाह समारोह के बाद, विष्णु की मूर्ति को जलाशय में विसर्जित कर दिया जाता है। इस प्रकार कुंभ विवाह समारोह संपन्न होता है, इसके बाद संबंधित दुल्हन का विवाह इच्छुक दूल्हे के साथ किया जा सकता है। कन्या के विवाह से पूर्व किए गए विवाह को घट विवाह या कुम्भ विवाह पूजा के नाम से जाना जाता है।